मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है वो मैं हूँ जो रोऊँजो तुझे लगता बारिश है वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
खुशियों से मिलना भूल गए
तुम इतना क्यूँ हमसे दूर गए ??
कोई किरण इक दिन आएगी
तुम तक हम को लेके जायेगी !!
मैं राह पे आँख बिछाके ही सोऊँ
मैं राह पे आँख बिछाके ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
पंख अगर होते
उड़ के चला मैं आता
रुकता न एक पल
क़ैद ये कैसी ख़ुदा
सांस भी रूठी है
सीने में आज कल
आज कल, आज कल, आज कलआज कल, आज कल, आज कल
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
जो तुझे लगता बारिश है, वो मैं हूँ जो रोऊँ
मैं दर्दों को पास बिठा कर ही सोऊँ |
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